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Tuesday, July 5, 2011

शायरी

अगर तुम न होते तो ग़ज़ल कौन कहता!
तुम्हारे चहरे को कमल कौन कहता!
यह तो करिश्मा है मोहब्बत का!
वरना पत्थर को ताज महल कौन कहता!

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