sms4su सुधाँशु चौरसिया आर्य
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Thursday, July 7, 2011
शायरी
“हँसती थी हँसाती थी
दिल को बहुत भाती थी
देख-देख शरमाती थी
फिर अंदर से मुस्कुराती थी
आज पता चला कि
वो तो एक पागल थी!
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