sms4su सुधाँशु चौरसिया आर्य
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Tuesday, July 5, 2011
शायरी
कितना बेबस है इंसान, किस्मत केआगे!
हर सपना टूट जाता है हकीकत के आगे!
जिसने कभी हाथ न फेलाया हो,
वो भी हाथ फेलता है गोलगप्पे वाले` के आगे!
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